"भारतीय गाँव: बदलता चेहरा नये भारत का"
✍️ भूमिका (Introduction): भारत की आत्मा उसके गाँवों में बसती है। करीब 65% से अधिक भारतीय जनसंख्या आज भी गाँवों में निवास करती है। परंतु अब ये गाँव सिर्फ बैलों की जोड़ी, मिट्टी के घर और पगडंडियों तक सीमित नहीं रह गए हैं। "नया भारत" अपने साथ गाँवों में एक सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक क्रांति लेकर आया है। आइए देखें कि भारतीय गाँवों में रहन-सहन से लेकर त्योहारों तक, कृषि से लेकर शिक्षा और परिवार तक, क्या-क्या बदलाव आए हैं। --- 🛖 1. रहन-सहन (Lifestyle) – साधन से सुविधा की ओर पहले: मिट्टी या कच्चे घर, खपरेल की छतें, लकड़ी या उपलों से जलने वाला चूल्हा। स्नान के लिए नदी/तालाब और रोशनी के लिए दीया या लालटेन। अब: सीमेंट-कंक्रीट के पक्के मकान, टॉयलेट की सुविधा (स्वच्छ भारत अभियान से), गैस चूल्हा (उज्ज्वला योजना), सोलर लाइट्स और LED बल्ब आम हो गए हैं। गाँव में मोबाइल, इंटरनेट और टीवी ने जीवनशैली को आधुनिकता से जोड़ दिया है। --- 🍛 2. खान-पान – परंपरा के साथ पोषण की समझ पहले: मोटे अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, मक्का, घर का ताजा बना खाना, देसी घी, दाल-चावल। अब: रोटी-दाल के साथ अब मैगी, बिस्कु...