"भारत – विश्व की सबसे प्राचीन और जीवित सभ्यता"
भारत – विश्व की प्राचीनतम और महानतम सभ्यता
भारत सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि संस्कृति, सभ्यता, और आत्मज्ञान का प्रतीक है। यह वह भूमि है जहाँ मानव सभ्यता ने सबसे पहले अपनी आँखें खोलीं। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के अनुसार, भारत की सभ्यता लगभग 8000 साल पुरानी है, और इसे विश्व की प्राचीनतम जीवित सभ्यता माना जाता है।
आज जब हम भारत को आधुनिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देखते हैं, तब यह याद रखना आवश्यक है कि यह भूमि कभी विश्वगुरु रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि भारत को सबसे पुरानी सभ्यता क्यों माना जाता है, उसकी विशेषताएँ क्या थीं, और आज भी यह विरासत कैसे जीवित है।
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🌾 सिंधु-सरस्वती सभ्यता – भारत की पहली झलक
भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता को आमतौर पर सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) के नाम से जाना जाता है। लेकिन नए शोधों और खोजों से यह स्पष्ट हो रहा है कि यह वास्तव में सिंधु-सरस्वती सभ्यता थी, क्योंकि इसके अधिकांश नगर सरस्वती नदी के किनारे बसे थे, जो अब लुप्त हो चुकी है।
यह सभ्यता लगभग 7000 ईसा पूर्व से भी पहले की मानी जाती है। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, राखीगढ़ी, और धोलावीरा जैसे शहर उस समय अत्यंत विकसित थे। नगर नियोजन, जल निकासी प्रणाली, अनाज संग्रहण, और व्यापार के साधन – यह सब उस समय की सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
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🧘 आध्यात्मिकता और ज्ञान की भूमि
भारत केवल भौतिक विकास में ही अग्रणी नहीं था, बल्कि यह आध्यात्मिक और बौद्धिक उत्थान का केंद्र भी था। यहाँ रचे गए वेद, उपनिषद, पुराण, रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ न केवल धार्मिक ग्रंथ हैं, बल्कि दर्शन, विज्ञान, खगोलशास्त्र, गणित और चिकित्सा का भी अद्भुत संगम हैं।
भारत ने ही दुनिया को शून्य (0) का ज्ञान दिया, दशमलव पद्धति, ज्योतिष विज्ञान, योग, और आयुर्वेद जैसी अमूल्य विधाओं की नींव रखी।
ऋषि-मुनियों की तपस्या और साधना ने इस धरती को आत्मज्ञान की चरम ऊँचाइयों तक पहुँचाया। पतंजलि ने योगसूत्र लिखे, चरक और सुश्रुत ने चिकित्सा विज्ञान को नई दिशा दी।
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🌍 'वसुधैव कुटुम्बकम्' – भारत की मूल भावना
भारत की संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता इसकी समावेशिता है। यहाँ हर जीवन रूप, हर विचारधारा, हर आस्था का स्वागत किया गया। इसी सोच ने भारत को "वसुधैव कुटुम्बकम्" – अर्थात पूरी दुनिया एक परिवार है – की भावना से ओतप्रोत किया।
चाहे हिंदू धर्म हो, बौद्ध, जैन, सिख, इस्लाम या ईसाई धर्म – भारत ने सबको अपने में समाहित किया। सहिष्णुता, विविधता में एकता और सार्वभौमिकता ही इस सभ्यता की पहचान रही है।
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🏛️ विश्वगुरु भारत
प्राचीन काल में भारत शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में देश-विदेश से विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने आते थे। भारत के ग्रंथ अरेबिक, लैटिन और तिब्बती भाषाओं में अनुवादित हुए।
संस्कृत भाषा को विश्व की सबसे वैज्ञानिक और व्यवस्थित भाषा माना जाता है। आज भी नासा जैसे संस्थान इसे कंप्यूटर की भाषा के रूप में अध्ययन कर रहे हैं।
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🪔 संस्कृति जो आज भी जीवित है
भारत की यह महान संस्कृति केवल इतिहास की बात नहीं है – यह आज भी हर त्योहार, हर परंपरा, हर गाँव और हर परिवार में जीवित है।
आज भी दीपावली पर दीप जलते हैं, होली में रंग उड़ते हैं, मकर संक्रांति पर पतंगें उड़ती हैं, और सावन में कांवड़ यात्रा निकलती है। भारत की लोककला, संगीत, नृत्य, भाषा, वास्तुकला – सबमें उस प्राचीन सभ्यता की झलक मिलती है।
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🌿 भारत का पुनर्जागरण
बीते कुछ शताब्दियों में भारत ने अनेक संघर्ष झेले – विदेशी आक्रमण, लूट, उपनिवेशवाद और सांस्कृतिक दमन। परंतु भारत की आत्मा को कोई नहीं मिटा सका। आज, जब दुनिया प्राचीन ज्ञान की ओर लौट रही है, भारत फिर से अपने स्वरूप में जाग रहा है।
योग, आयुर्वेद, ध्यान, भारतीय दर्शन, भारतीय खान-पान, पारंपरिक वस्त्र और भारतीय जीवनशैली को आज पूरी दुनिया अपनाने लगी है। यह भारत के पुनर्जागरण का समय है।
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🔱 निष्कर्ष – क्यों गर्व करें भारत पर?
भारत सिर्फ एक भूखंड नहीं है, यह एक जीवंत चेतना है। यह वह भूमि है जिसने मानवता को अहिंसा, करुणा, ज्ञान और आत्मा की खोज का मार्ग दिखाया। यह सबसे पुरानी सभ्यता इसलिए नहीं है क्योंकि इसका इतिहास सबसे लंबा है, बल्कि इसलिए क्योंकि इसकी आत्मा आज भी जीवित है।
हमें गर्व है कि हम उस ब्रह्मभूमि के वंशज हैं जहाँ वेद गूंजे, बुद्ध ने ध्यान किया, महावीर ने तप किया, और जहाँ गांधीजी ने सत्य और अहिंसा से आज़ादी दिलाई।
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📜 जय भारत! जय सनातन संस्कृति!
"भारत की महानता को जानिए, समझिए और गर्व से अपनाइए। यही BhaaratLok का संदेश है।"
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